रिपोर्ट: Hashim Malik
एक तरफ शासन विकास की गंगा को टेल तक पहुंचने के दावा कर रहा है। वहीं जिले में एक ऐसा भी गांव है जहां राशन कार्ड तो दूर बच्चों के आधार कार्ड न बन पाने के कारण शिक्षा की सहूलियतों से वंचित होना पड़ रहा है।
विकास की ये तस्वीर उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के बेहटा विकास खण्ड क्षेत्र के एक गांव की है।करीब 150 से कुछ अधिक लोगों का गांव बरसों बीत जाने के बाद भी विकास की रेखा को छू नहीं पा रहा है। 20-22 परिवार के इस गांव में लोगों का पेशा नृत्य और कला का प्रदर्शन करते हुए लोगों का मनोरंजन करना है।
गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि 60 के करीब पुरुषों की संख्या है। महिलाएं करीब 40 हैं। 50 बच्चे हैं। बच्चों में अधिकतर के पास आधार कार्ड नहीं हैं। ऐसे में अधिकतर बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं। कुछ बच्चों को किसी तरह प्राइवेट स्कूल ने दाखिला तो ले लिया लेकिन राहत और सहूलियत नहीं मिल पा रही है। गांव की एक बुजुर्ग महिला बताती हैं। कि हम लोग लोगों की पीढ़ियां नृत्य कला का प्रदर्शन और लोगों का मनोरंजन करते हुए बीत गई है। बदलते परिवेश में अगर बच्चे पढ़ जाए तो निश्चित तौर पर लोगों की सोच बदलकर गांव में भी विकास की तस्वीर दिखाई पड़ेगी।
गांव में सड़क और नालियों का आभाव
ग्राम पंचायत का यह मजरा सड़क से महज तीन सौ मीटर दूर है, लेकिन गांव में सड़क और नालियां दोनों का अभाव है। ऐसे में बाढ़ और कटान से करीब के इस क्षेत्र में आवाजाही में अक्सर दुश्वारियां ही हाथ लगती हैं।
गांव में दो हैण्डपंप वो भी खराब
गांव के भीतर पहुंचने पर दो हैंडपंप मिले। इंडिया मार्ग हैंडपंप की हकीकत जानी तो पता चला कि दोनों हैंडपंप खराब हैं। गांव के प्रधान से कई बार कहा जा चुका है, लेकिन व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में इन नालों के पानी के इस्तेमाल से बच्चों में कई बार उल्टी और दस्त की शिकायत हो चुकी है।
नृत्य न करें तो क्या करें
गांव की महिलाएं कहती है कि नृत्य कला का प्रदर्शन ना करें तो क्या करें, पढ़ाई लिखाई न होने के कारण एकमात्र पेट पालने का माध्यम यही बचता है। बताती हैं कि चार पांच पीढ़ियों के बीच फिलहाल गांव में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है ।
राशन कार्ड और हैंडपंप के लिए अगर ग्रामीण शिकायती पत्र देंगे तो निश्चित तौर पर समस्याओं का निस्तारण कराया जाएगा
अनुपम मिश्रा, उपजिलाधिकारी लहरपुर